आगाज़
मेरे हाथ की लकीरें
धुंधली सी
उधड़ सी गयी हैं
वक़्त के इस शोर में
कहीं से आ कर
लिख दो इन पर
एक कहानी
बुन दो नए किस्से
उमंग भरे
रंग दो नयी तकदीर
सपनों भरी
बिखेर दो नए शब्द
जिनसे निकले
तो एक दास्ताँ निकले
उजली सुर्ख लाल
फलसफों वाली
ऐसे होगा
हाँ ऐसे ही होगा
इश्क का नया
आगाज़।।।
3 comments:
very nice lines
very nice lines
Hi Gaurav
Thanx a lot for your appreciation. Keep in touch. Bye.
Mohit
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