Sunday, February 3, 2013

आगाज़


मेरे हाथ की लकीरें
धुंधली सी
उधड़ सी गयी हैं 
वक़्त के इस शोर में
कहीं  से आ कर
लिख दो इन पर
एक कहानी
बुन दो नए किस्से
उमंग भरे
रंग दो नयी तकदीर
सपनों भरी
बिखेर दो नए शब्द
जिनसे निकले
तो एक दास्ताँ निकले
उजली सुर्ख लाल
फलसफों वाली

ऐसे होगा
हाँ ऐसे ही होगा
इश्क का नया 
आगाज़।।।

3 comments:

Unknown said...

very nice lines

Unknown said...

very nice lines

mohit mittal said...

Hi Gaurav
Thanx a lot for your appreciation. Keep in touch. Bye.
Mohit