Tuesday, February 5, 2013

DARMIYAAN


मलहम

चाँद 
आधा सा
थका सा
लग रहा है
आज
दिन भर की गर्मी से
थपेड़ों से
बीमार पड़ गया है
शायद
छत की तलाश में
उदास
हताश
मुरझा गया है
नादान 
शरीर ठंडा पड़ा है
जैसे मर गया हो कोई
सुनसान
बीयाबान
जा कर सो जाओ
उसके साथ 
आबाद कर दो
सहमा बदन
मलहम भर देना
ज़ख्मों में
बातें करना
मीठी मीठी
मिसरी वाली
चटपटी
करारी
अपनी साँसों से
सहला देना बालों को
सूख गए हैं
रूखे रूखे
बेजान
लोरी सुनाना
नानी वाली
परियों और तारों
वाली
जब सो जाए तो ढक देना
कम्बल से
अच्छी तरह
फिर बत्ती बुझा के
आ जाना वापस

आखिर सुबह
फिर काम पे भी तो जाना है
दोबारा।।।