आधा सा
थका सा
लग रहा है
आज
दिन भर की गर्मी से
थपेड़ों से
बीमार पड़ गया है
शायद
छत की तलाश में
उदास
हताश
मुरझा गया है
नादान
शरीर ठंडा पड़ा है
जैसे मर गया हो कोई
सुनसान
बीयाबान
जा कर सो जाओ
उसके साथ
आबाद कर दो
सहमा बदन
मलहम भर देना
ज़ख्मों में
बातें करना
मीठी मीठी
मिसरी वाली
चटपटी
करारी
अपनी साँसों से
सहला देना बालों को
सूख गए हैं
रूखे रूखे
बेजान
लोरी सुनाना
नानी वाली
परियों और तारों
वाली
जब सो जाए तो ढक देना
कम्बल से
अच्छी तरह
फिर बत्ती बुझा के
आ जाना वापस
आखिर सुबह
फिर काम पे भी तो जाना है
दोबारा।।।
थका सा
लग रहा है
आज
दिन भर की गर्मी से
थपेड़ों से
बीमार पड़ गया है
शायद
छत की तलाश में
उदास
हताश
मुरझा गया है
नादान
शरीर ठंडा पड़ा है
जैसे मर गया हो कोई
सुनसान
बीयाबान
जा कर सो जाओ
उसके साथ
आबाद कर दो
सहमा बदन
मलहम भर देना
ज़ख्मों में
बातें करना
मीठी मीठी
मिसरी वाली
चटपटी
करारी
अपनी साँसों से
सहला देना बालों को
सूख गए हैं
रूखे रूखे
बेजान
लोरी सुनाना
नानी वाली
परियों और तारों
वाली
जब सो जाए तो ढक देना
कम्बल से
अच्छी तरह
फिर बत्ती बुझा के
आ जाना वापस
आखिर सुबह
फिर काम पे भी तो जाना है
दोबारा।।।
2 comments:
थकी - थकी सी ये दोपहर है,
बेरुखी सी धूप है,
ये कमबख्त जिस्म है जिसके कारन जगा हूँ,
वरना कब का सो जाता...
Hi Umesh
Wow...really nice lines. Thanx a lot for posting them in my comment section. Your words mean a lot to me.
Mohit
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