I was strolling on the road
when I saw it coming,
I could escape the collision
but I let it go,
It shattered me to pieces
but I saved the very thing,
they call me insane...
श्रुति।।। व्यापार लेन देन उपस्थिति आसन आधार देह पुरुष प्राण साधू श्रवण व्यक्ति पूजा भक्ति रस्म सत्संग शब्द आनंद जाग्रत उन्स पृथ्वी।।।
स्मृति।।। ध्यान मिलन प्रेम विवाह बंधन अनुभव देह-बुद्धि जाग्रत-सुषुप्ति अर्थ व्यक्त मानस मनन नृत्य सिद्धि संस्कार स्मरण समर्पण सिमरन नेती नेती सोऽहं संकल्प विवेक वैराग्य आकाश चिदानन्द चिदाकाश।।।
साधना।।। परिवर्तन आगमन इश्क सम्भोग स्वपन लीला दर्शन संन्यास त्याग मुक्ति कल्याण प्रकृति प्रलय नटराज ताण्डव अव्यक्त आत्म-प्रकाश परमाकाश सद्चितानन्द महादकाश महा-मृत्यु महा-सत्तव महा-तत्व पारब्रह्म ब्रह्मचर्य स्वर्ग शून्य तुरिया योगी यज्ञ मोक्ष निरवाना सत्यम शिवम् सुंदरम।।।
कई आहें भरता हूँ कई सांसें लेता हूँ हर रोज़। रोज़ स्क्रिप्ट के पन्नों पर खींचा ताना जाता हूँ पेंसिल से। एक कल्पना हूँ। लेखक के कैनवस पर खिंची एक लकीर। बाकी सभी लकीरों जैसी। ज़रूरी पर मामूली भी। इंसान जैसी पर जीवन से छोटी। जीती जागती मर जाने वाली। फिल्म के रील जैसी काली धुंधली पर इतिहास समेटे अंधेरी दलीलों में। एक सत्य कहानी पर रहस्य जैसी।
कई कॉस्टूम बदलता हूँ कई चेहरे पेहेनता हूँ हर रोज़। ना शब्द मेरे ना दास्ताँ मेरी और ना ही रिश्ते नाते। ना बिछुए मेरे ना कंगन मेरे और ना ही तख़्त ताबीज़। ना आज़ान मेरी ना अंत मेरा और ना ही भूत भविष्य। मैं तो ज़रिया हूँ केवल। और कुछ नहीं कुछ भी नहीं। देखा है अक्सर एक कोने में आधे अधूरे सियाही से सने पन्नों को कई अपने जैसे किरदार समेटे किस्मत की उड़ान भरते बीच कहीं निराश हो जाते हैं। कौन समझाए पगलों को नादां बेचारे। मौत ही तो सत्य है पारब्रह्म। सद्चितानन्द।।।
कई बार जी चुका हूँ मर चुका हूँ कितने ही जीवन। यह बूढ़ा स्टूडियो प्रमाण है मेरी गवाही का। मेरे साथ यह भी तय करता आया है अब तक इस सफ़र को। कितनी बार रोंदा गया कुचला गया कभी फूलों से नवाज़ा गया। याद नहीं भूल गया हूँ सब हिसाब। क्या घटा जुड़ा क्या गुणा तकसीम हुआ। एक अरसा लगता है बीत गया शायद। बूढ़ा हो गया हूँ अब। कौन हूँ मैं यह जान लूं तो मर सकता हूँ बेफ़िक्री से। इस पन्नों की ढेरी से मुझे मेरा किरदार लौटा दो। और इस किरदारों की बस्ती से मुझे मेरा अक्स लौटा दो। फिर ओढ़ा के मुझ पे मेरा अपना शरीर विदा करो मुझे रिहा करो।।।